डिंडोरी: 'सेनगुड़ा' के बच्चों का भविष्य जोखिम भरे रास्ते पर! शिक्षा के मार्ग की दुर्दशा पर प्रशासन कब देगा ध्यान?

 (डिंडोरी, करंजिया) — नमस्कार! आप पढ़ रहे हैं सत्य प्रहार । हम डिंडोरी ज़िले के उस अंतिम छोर तक पहुँचे हैं, जहाँ आदिवासी बहुल इलाके के मासूम नौनिहालों का भविष्य रोज़ दाँव पर लगता है। यह बात है करंजिया जनपद के सेनगुड़ा की।

ग्रामीणों से मिली गंभीर शिकायत के बाद 'सत्य प्रहार' की टीम उस सत्य को जानने के लिए सेनगुड़ा पहुँची। पहुँचने पर पता चला कि बच्चों की शिक्षा से जुड़ी वहाँ की तस्वीर शब्दों से कहीं ज़्यादा दर्दनाक है।


🛑 ग्राउंड रिपोर्ट: पत्थरों और गड्ढों का जर्जर मार्ग

सेनगुड़ा स्थित स्कूल तक पहुँचने के रास्ते की जो हालत 'सत्य प्रहार' की टीम ने देखी, उसे शब्दों में बयान करना असंभव है। यह रास्ता नहीं, यह पत्थरों और गहरे गड्ढों का जर्जर मार्ग है। छोटे-छोटे बच्चे, किताबों का बोझ उठाकर, रोज़ाना इस जानलेवा/खतरनाक सफ़र को तय करते हैं।





यह रास्ता इतना खराब है कि इस पर चलना किसी चुनौती से कम नहीं है, और इसका सीधा असर पड़ता है उनकी पढ़ाई पर। यह 'शिक्षा का मार्ग' बच्चों के लिए किसी मौत के जाल से कम नहीं है।

💧 पानी और भोजन की बदहाली: आंगनवाड़ी भवन भी परिसर में, पेयजल शून्य

समस्या सिर्फ़ रास्ते की ही नहीं है। जब 'सत्य प्रहार' टीम सेनगुड़ा के स्कूल के अंदर पहुँची, तो पता चला कि यहाँ पीने के पानी तक का कोई इंतज़ाम नहीं है! गंभीर बात यह है कि स्कूल के परिसर में ही आंगनवाड़ी भवन भी मौजूद है, जहाँ छोटे-छोटे बच्चे आते हैं, पर उन्हें भी पीने का पानी नहीं मिलता। बच्चे अपनी प्यास बुझाने के लिए कहाँ जाएँगे, यह एक बड़ा सवाल है। इसके अलावा, मध्याह्न भोजन (Mid-Day Meal) की गुणवत्ता भी सरकारी मापदंडों से कोसों दूर है।





पीएचई अधिकारी का बयान

इस संबंध में जब हमने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (PHE) विभाग के अधिकारी श्री उपाध्याय से संपर्क किया, तो उन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि, "जब स्कूल भवन और शौचालय बने होंगे, तब बिना पानी की व्यवस्था के उन्हें कैसे बना दिया गया।" उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि अगर उनके पास शिक्षा विभाग से कोई आधिकारिक आग्रह (रिक्वेस्ट) आता है, तो वे निश्चित रूप से मामले को संज्ञान में लेंगे और समस्या का हल करेंगे।

🗣️ शिक्षक का दर्द: शिकायत के बावजूद नहीं हुई कोई सुनवाई

वहाँ पदस्थ शिक्षक श्री सोनी से बात करने पर उनकी आँखों में सिर्फ़ निराशा और बेचारगी दिखी। उन्होंने 'सत्य प्रहार' को बताया कि यह समस्या एक दिन की नहीं है। वे पंचायत से लेकर विभाग तक, सभी जगह इस विषय में बता चुके हैं, शिकायत भी कर चुके हैं, किंतु आज तक कोई हल नहीं मिला है।


📞 शिक्षा अधिकारी का पक्ष: संपर्क नहीं हो पाया

हमने इस गंभीर विषय पर डिंडोरी की ज़िला शिक्षा अधिकारी श्रीमती सुमन परास्ते से फ़ोन पर संपर्क कर उनका आधिकारिक बयान (स्टेटमेंट) लेने का प्रयास किया, किंतु अफ़सोस! फ़ोन पर हमारी उनसे बात नहीं हो पाई। उनका पक्ष मिलते ही हम उसे अपने पाठकों तक पहुँचाएँगे

यह इलाका इतना ग़रीब है कि यहाँ की आम जनता अपनी आवाज़ उठाने की हिम्मत नहीं जुटा पाती। पर सत्य प्रहार का काम है आम जनता की इस दबी हुई आवाज़ को उठाना और उसे अधिकारियों के कानों तक पहुँचाना!

जब इस गंभीर स्थिति पर महिला एवं बाल विकास विभाग के ज़िला प्रमुख श्री श्याम सिंगौर से बात की, तो यह जानकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि वह आंगनवाड़ी परिसर में पेयजल और अन्य सुविधाओं की बदहाली से पूरी तरह अनभिज्ञ थे।


 प्रशासन से सीधा सवाल

  • क्या इस खबर के बाद, डिंडोरी ज़िला प्रशासन जागेगा?

  • क्या इन मासूम नौनिहालों (स्कूल और आंगनवाड़ी दोनों के) के लिए तुरंत कार्यवाही की जाएगी, जिनको शिक्षा से ज़्यादा जीवन के बचाव की चिंता करनी पड़ती है?

  • या अंत्योदय जैसी बड़ी योजनाएँ सिर्फ़ काग़ज़ों पर, सरकारी फ़ाइलों में और अधिकारियों की फ़ोटो-सेशन तक ही सीमित रह जाएँगी?

सत्य प्रहार इस खबर पर निरंतर नज़र बनाए रखेगा।

(सत्य प्रहार: बेख़ौफ़, निष्पक्ष, दमदार।)

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