डिंडौरी: 03 दिसंबर, 2025
डिंडौरी जिले के जल्दा गाँव में आदिम जनजाति बैगा समुदाय के किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च एंड डेवलपमेंट (CARD) द्वारा आयोजित इस पहल का उद्देश्य बैगा किसानों को रासायनिक मुक्त, टिकाऊ कृषि पद्धतियों (Sustainable Farming Practices) और जैविक खेती से जोड़ना है, ताकि उनकी आय और मिट्टी का स्वास्थ्य सुधर सके।
🧪 नीमास्त्र, जीवामृत और दस पत्ती अर्क बनाने का व्यावहारिक ज्ञान
प्रशिक्षण सत्र का मुख्य आकर्षण किसानों को प्राकृतिक कीटनाशक और जैविक खाद बनाने का व्यावहारिक ज्ञान देना रहा। किसानों ने विशेषज्ञ प्रशांत द्विवेदी के मार्गदर्शन में:
प्राकृतिक कीटनाशक: नीमास्त्र, ब्रह्मास्त्र, और दस पत्ती अर्क जैसे शक्तिशाली और पर्यावरण-अनुकूल कीटनाशकों को बनाना सीखा।
जैविक खाद: खेत के लिए अत्यंत उपयोगी जीवामृत खाद बनाने की विधि को समझा।
प्रशिक्षण में मृदा परीक्षण (Soil Testing) की प्रक्रिया को भी विस्तार से समझाया गया, जो जैविक खेती में मिट्टी की गुणवत्ता को समझने के लिए पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम है।
🗣️ पर्यावरण संरक्षण पर ज़ोर
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि अजय सिंह और विनोद यादव ने किसानों को संबोधित करते हुए जैविक खेती के दीर्घकालिक लाभों और पर्यावरण संरक्षण में उनकी भूमिका पर प्रकाश डाला।
परियोजना समन्वयक लवकेश तिवारी के कुशल नेतृत्व में सम्पन्न इस प्रशिक्षण सत्र ने किसानों को सरल भाषा में जैविक खेती के सभी तकनीकी पहलुओं से अवगत कराया।
📈 आय वृद्धि और स्वास्थ्य सुरक्षा की ओर कदम
CARD का यह प्रयास बैगा समुदाय के किसानों को रासायनिक मुक्त खेती (Chemical-Free Farming) की ओर प्रेरित करने में सहायक होगा। उम्मीद है कि यह कदम न केवल उनकी उत्पादन लागत को कम करेगा, बल्कि उन्हें बेहतर बाज़ार मूल्य दिलाकर उनकी आय में वृद्धि और उनके परिवारों के स्वास्थ्य की सुरक्षा भी सुनिश्चित करेगा।
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